कलम मेरी बंदगी.
कलम से ही है मेरी जिन्दगी.
ख़ुशी,गम,प्रेम,वियोग,
मे है मेरी साथी.
जिस रस को सोचा मैंने मन मे.
उसको लिखा है इसने अछरो मे.
प्रेम मे प्रेम रस है.
वीरो का वीर रस है.
रशिको का स्र्यंगार रस है.
कविका का काव्य रस है.
मेरा तो यह जीवन रस है.
इसकी इसी महिमा पर
मेरा संपूर्ण जीवन समर्पित है.
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
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कलम का पुजारी हू.
ReplyDeleteकलम मेरी बंदगी.
कलम से ही है मेरी जिन्दगी.खुबसूरत पंक्तिया....
dhanyawad
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