ठंडी छाओ थी|
गम के मौसम मे,
ख़ुशी की बहार थी|
मेरे अकेलेपन मे,
पूरी महफ़िल थी|
मेरे मृत जीवन मे
अमृत सुधा थी |
उसको पाके जीवन लगा था मै जीने|
पर क्यों फिर मार दिया मुझे उसने|
क्यों मारा उसने यूं तड़पा कर हमें|
हम तो यूं ही जान दे देते उन्हें|
रचनाकार--प्रदीप तिवारी
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भावपूर्ण पंक्तिया....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और नाजुक भाव समेटे हुए
ReplyDeleteये खूबसूरत कविता
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/