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Tuesday, March 13, 2012

माँ


भुला दिया उसने उसी को. 
जिन्दगी को नई जिन्दगी दी जिशने .
जीवन तक लगा दिया उसे लाने  मे.
फिर भी भूल गया तू किसी और के आने से.
हर तरफ सिर्फ खुसिया दी  जिशने  .
फिर गम क्यों है उसके आशियाने मे.
 मरहम  बना दिया खुद को जिशने 
फिर दर्द   इतना क्यों उसके सीने  मे.
दर्द को हरा कर खुसी दी  जिशने
फिर खुसी क्यों नहीं उसके नसीब मे.
प्रदीप कहता है माँ का जीवन है सायद ऐसा
वरना माँ तो बनाती है सपूत उसे
पर होते न कपूत इस जहांन  मे ..
रचनाकार...प्रदीप तिवारी 

Tuesday, March 6, 2012

होली की सुभकामनाये


अबकी होली ऐसे रंगों..
मन प्रीत  से रंग  जाये.
रहे न एको मन मे बैर..
बस प्रेम मिलन हो जाये..
रंगों तन को ऐसे की
मन भी रंगा रंग हो जाये..
धुले भले ही तन से रंग..
पर प्रीत बसी रह जाये...
खो के भाई चारे मे....
साद एक दूजे के हो जाये..
छूटे चाहे जग सारा.. 
पर प्रीत न छूटने पाए..
         
रचनाकार --प्रदीप  तिवारी
.kavipradeeptiwari.blogspot.com
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Thursday, March 1, 2012

mohbbat?????

jindgi bhar tanha rahe kyo ki kisi aur ka sath manjoor na tha...
kawahiso ko hi mar diya hamne kau ki unme tera na noor tha...
jindgi ke rasto ko mod diya teri khushiya ki taraf..
 kau ki meri jindgi ko teri kushi ke alwa kuchha aur na manjoor tha...
dilo halat ko batlana to tughe jarur tha.....
par rok liya khud ke jajabato ko ..kau ki tri jindgi mai koi aur tha........rachanakar..pradeep tiwari
kavipradeeptiwari.blogspot.com