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Monday, August 29, 2011

my love




आशमा अपनी तुम उचाई बढा लो ,
हमें अपने हौशलो पर पूरा भरोशा है|

अंधेरो मे रह के देख रहे थे ,
कि  अंधेरो मे  दम कितना है|

दुशमनो कि पहचान थी हमें कब से,
पर देखना था मेरे दोस्त कि रजा क्या है|

मिटने का भी मजा लेते रहे हम,
कऊ  कि उनको  खुस  देखने का अलग ही मजा है|

हम कमजोर तो थे ही नहीं कभी ,
पर उनसे हरने का अपना मजा है |

यूं तो जिन्दगी अभी बहुत थी मरी ,
पर उनके लिए मरने का अलग ही मजा है |

समझ सकी ना वो मेरे जज्बातों को ,
मेरा जीवन फिर भी  उशमे फ़ना है|


रचनाकार -प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
www.sahityapremisangha.com
                                                        

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