धैर्य ,साहश ,विस्वाश ,की मूर्ती थी|
सच्ची,नारीधर्म की प्रतिमूर्ति थी |
पुत्री धर्म ,पत्नी धर्म,माँ धर्म क्या खूब निभाया|
सीता के लिए हर मुख से माँ निकल आया |
कास फिर से चरित्र निर्माण हो जाये|
इस भारत का बेडा पार हो जाये|
हर घर मे लव ,कुश हो जायेंगे,
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