शुखो की देहलीज पर
शुखो को तलाशता हू
अपनों के बीच पर
खुद को तलाशता हू
जिन्दगी की दौड़ पर
जिन्दगी को तलाशता हू
इस भीड़ भरी दुनिया पर
खुद को तलाशता हू
इस तलास की तलाश पर
इधर उधर भागता हू
ठहरने की फुरशत नहीं पर
ठहरने का ठौर तलाशता हू
जिन्दगी को जिन्दगी नहीं दी पर
मौत के लिए कफ़न तलाशता हू
कहने के लिए तो सारा जहा है मेरा पर
इस दुनिया मे अपना घर तलाशता हू
रचनाकार--प्रदीप तिवारी
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