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Tuesday, February 21, 2012
Wednesday, February 1, 2012
इबादत
मोहब्बत को खुदा मानकर,
बिताया हर पल उसकी इबाबद में।
हर जुल्मो हालात को,
हस हस कर सहा उसकी चाहत में।
की खुदा मिला देगा मुझे,
उससे हर हाल में।
पर दुआ कबूल न की ,
न जाने क्यू मेरे भगवान ने।
रूठा कर खुदा से कहा मैंने,
कमी क्या थी मेरी तेरी इबादत मे।
उसने मुश्कुराकर कहा मुझसे ..
यू मिल सकता अगर मीत चाहने से
तो बिछड़ते न कान्हा राधा के प्यार मे।।
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
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