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Sunday, October 30, 2011

मेरी किस्मत

उन्हें याद आया जब वाफाओ का फशाना मेरा ,
वे तड़प तड़प कर बेतहाशा पछताए|                     
वो अपने गुनाहों की माफी मागने घर मेरे आये|
मेरे घर वालो ने मेरा नया पता दिया उनको |             
वो दौड़ते दौड़ते हमसे मिलने वहा भी  वो आये|
दहलीज पर मेरे खूब आवाज लगाईं उन्होंने,
आशुओं से भिगोया भी जी भर कर मुझको|
पर हम तो ऐसा सोये अपनी कब्र पर 
की जाग भी न पाए उनकी इस दस्तक पर.

रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com

मै और मेरी वफ़ा


तुने मुझे बेवफा कहा,ये भी मुझे मंजूर है,
तेरी जिन्दगी मुझसे नहीं कही तो जरुर है|      
हमने अपनी वफ़ा को बेवफा नाम दे दिया,
क्यू की तेरी किस्मत का सितारा कोई और है|
तेरी राहों  में  फूल  बिछाते  रहे हम,                 
गमो को छुपाकर हसते रहे हम|
मेरे अंधेरो का साया न मिले तुझे ,
तेरी रोशनी के लिए जलते रहे हम|
वफादारी वो भी न करता तेरे लिए ,
जो बेवफा बनकर करते रहे हम|
जिस मंजिल मे बैठकर तुम इतरा रहे हो आज ,
उस मंजिल की सीढी बनाते रहे हम|
तेरे पल पल मुस्कराहट की चाहत मे,
तिल तिल कर मरते रहे हम|  








रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.pradeeptiwari.blogspot.com

Tuesday, October 11, 2011

परिवर्तन

जमाने को अपने हालात क्या बतलाते,
हम अपनों को दिए जख्म सिल रहे है|
         जज्बातों की आँधी कब की सांत हो चुकी '
        अब तो  हम  बस अपनों से लड़ रहे है|
जिन्दगी दी थी अपनों को कभी'
वही मेरे  मौत पर हस रहे है|
       अपनों को रखा था हमेसा  करीब
       क्यों वो  अब पराये से  लग रहे है|
मौत तो कब की हो चुकी है मेरी,
फिर क्यों  मरे प्राण अटके पड़े है|
         कब्र खोदी थी  खुद ही मैंने अपनी,
        फिर क्यों दफ़न होने से डर रहे है|

रचनाकार--प्रदीप तिवारी 
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pradeeptiwari.mca@gmail.com

यादे

तेरे  जाने के बाद तेरी पहचान  अभी बाकी  है|
मुर्दा है जिस्म पर जान अभी बाकी  है|
खुदा ने नवाजा है तुझे  उस नूर से की,
उजड़ गया है चमन पर खुसबू अभी बाकी है|
  तूने  जमाना छोड़ दिया तो क्या हुआ,
इस ज़माने में तेरी  याद  अभी बाकि है |

रचनाकार --प्रदीप तिवारी 
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pradeeptiwari.mca@gmail.com

मेरीदुआ

मेरे प्यार के हद की बात मत करना
हदों में रहना मेरी आदत नहीं
          मेरी चाहत मे  बसता है मेरा खुदा 
        बस अब  मेरे जीवन मे खुदा की इबादत ही सही
इश्क अगर आग का दरिया है तो
तेरे इश्क मे अब जलना ही सही
          तेरी मोहब्बत को मेरे मौत की दरकार है तो
         तेरे इश्क पर  अब मेरा मरना ही सही
  बस दुआ है इतनी खुदा से 
 उठे जब डोली तेरी ,तेरे घर से 
तब मेरा जनाजा उठे शान से मेरे  घर से .......

रचनाकार --प्रदीप तिवारी
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pradeeptiwari.mca@gmail.com

          

मेरी वफ़ा

  सारे ज़माने ने कहा मुझसे ,
इस बेवफा के जाल मई मत फसना|
             फिर भी हम उनके ,
           जाल मे फसते चले गए|
लूटने का इरादा था उनका पक्का,
 पर वो खुद हमसे लुटते चले गए|
                उनकी हर बेवफाई को,
           हम वफ़ा का सहारा देते चले गए|
जो बेवफा थे इस सारे जहा में,
वो हमारे इश्क मे वफादार बन गए| 
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
 www.kavipradeeptiwari.blogspot.com

pradeeptiwari.mca@gmail.com

Saturday, October 8, 2011

मै और तुम =मै


गमो का तूफ़ान सीने मे  थाम रखा है|
आसुओं से तेरा चमन उजड़ा तो उजाडा कैसे जाये

          मुस्कराहट को ओठो मे बसा लिया हमने |
         कही तू बेवफा बदनाम ना हो जाये

भूलने की कोशिस हजार की मैंने 
पर दिल मे बसे हुए को भूला कैसे जाये
            
             मोहब्बत को हमने खुदा मान  लिया |
             अब बिना इबादत रहा  तो रहा कैसे जाये|

बेवफाई की आदत होगी तुम्हे
वफ़ा तो मेरे रगों मे है|
 तू ही बता
तुझसे इंतकाम लिया तो लिया  कैसे जाये
               तेरे झूठी वाफाओ के किस्से हमने फैला रखे है |
                 तू ही बता
                अपने प्यार को बदनाम किया तो किया कैसे जाये|



 रचनाकार -प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
pradeeptiwari.mca@gmail.com