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Wednesday, September 28, 2011

मेरा बेटा




जब वो छोटा बच्चा था,
बड़ा होने के लिए तडपता था|
मासूमियत पहचान थी उसकी ,
छोटी छोटी बातो पर लड़ता था|
मेरा हाथ पकड़कर वो ,
रहो पर वो चलता था|
जिद करना आदत थी उसकी
हर जिद पर वो जिद करता था|




आज अब वो बड़ा हो गया
दुनियादारी जान गया वो|
खुद को बस भूलकर
सबको पहचान गया वो|
मैंने उसका भार उठाया
मुझे ही भार मान गया वो|
बुढ़ापे मे उम्मीद थी उससे
पर जीते जी मुझे  मार  गया वो |



रचनाकार -प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
pradeeptiwari.mca@gmail.com
9584533161

1 comment:

  1. very nice reality sir..............! bt every son is not going to frgt..!
    really very nice...........!

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