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Thursday, September 1, 2011

mai kalam hu




भेद भाव कोई बैर नहीं 
कोई भी मुझसे  गैर नहीं
सब के लिए अर्पित  हूँ
लेखन के लिए समर्पित हु.
ऐश्वर्य, धन ,का माध्यम हु
जीवन का मै अमृत हु
करना मुझे स्मभालकर उपयोग
दूंगी तुम्हे नाम और सोहरत दोनों का योग.
करना न मेरा दुरूपयोग
दूंगी तुमको  हरदम  सहयोग.



रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
www.pradeeptiwari.mca@gmail.com

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