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Thursday, September 1, 2011
mai kalam hu
भेद भाव कोई बैर नहीं
कोई भी मुझसे गैर नहीं
सब के लिए अर्पित हूँ
लेखन के लिए समर्पित हु.
ऐश्वर्य, धन ,का माध्यम हु
जीवन का मै अमृत हु
करना मुझे स्मभालकर उपयोग
दूंगी तुम्हे नाम और सोहरत दोनों का योग.
करना न मेरा दुरूपयोग
दूंगी तुमको हरदम सहयोग.
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
www.pradeeptiwari.mca@gmail.com
3 comments:
विभूति"
September 1, 2011 at 9:27 PM
कलम की सुन्दर अभिवयक्ति....
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pradeep tiwari
September 2, 2011 at 2:08 AM
dahnwad ap ke is sneh ke liye
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संजय भास्कर
September 7, 2011 at 7:12 PM
सुन्दर, कोमल अभिव्यक्ति।
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कलम की सुन्दर अभिवयक्ति....
ReplyDeletedahnwad ap ke is sneh ke liye
ReplyDeleteसुन्दर, कोमल अभिव्यक्ति।
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