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Tuesday, October 11, 2011

मेरीदुआ

मेरे प्यार के हद की बात मत करना
हदों में रहना मेरी आदत नहीं
          मेरी चाहत मे  बसता है मेरा खुदा 
        बस अब  मेरे जीवन मे खुदा की इबादत ही सही
इश्क अगर आग का दरिया है तो
तेरे इश्क मे अब जलना ही सही
          तेरी मोहब्बत को मेरे मौत की दरकार है तो
         तेरे इश्क पर  अब मेरा मरना ही सही
  बस दुआ है इतनी खुदा से 
 उठे जब डोली तेरी ,तेरे घर से 
तब मेरा जनाजा उठे शान से मेरे  घर से .......

रचनाकार --प्रदीप तिवारी
www.pradeeptiwari.blogspot.com
pradeeptiwari.mca@gmail.com

          

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