ऐसा नहीं की कोई तुझसा हसी नहीं है|
पर जाने कऊ नजरे तुझसे हटती नहीं है|
एक कशिस है तुझमे जो रोकती है मुझको,
दूर कही जाने से टोकती है मुझको |
ना कर तू ना ना हो न जाये देरी|
करदे तू हा और बन जा तू मेरी |
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
९५८४५३३१६१
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acchi rachna...
ReplyDeletedahnyawad
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