नेताओ की बनवाई सड़के और इमारते बनने से पहले ही मुर्दा है|
मै सड़के और इमारते ढूढ़ते ढूढ़ते पुरातत्वविद हो गया हु |
जो न लुटा मै २०० सालो मे वो महज ६५ सालो मे लुट चूका हु|
मै पढ़ा लिखा होकर भी ८० लाख करोड़ मे शुन्य लगाते लगाते भूल जाता हु|
पर पता नहीं ये अनपढ़ इतना हिशाब कैसे कर लेते है |
शायद ये लाख को एक हजार और करोड़ को एक लाख गिनते है|
इसीलिए अरबो के घोटालो को ये आम बात कहते है |
अब ये हम नहीं होने देंगे इनसे हम हिसाब लेंगे|
हम है अब वतन के शिपाही भ्रस्टाचार नहीं होने देंगे|
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
9584533161
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