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Monday, August 29, 2011
life
आशुओ मे नहा रहा हु |
गमो को मरहम बना रहा हु|
काटो मे तलाश ली है जिन्दगी|
मेरे दोस्त इसीलिए जिए जा रहा हु|
रचनाकार प्रदीप तिवारी
9584533161
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