अबकी होली ऐसे रंगों..
मन प्रीत से रंग जाये.
रहे न एको मन मे बैर..
बस प्रेम मिलन हो जाये..
रंगों तन को ऐसे की
मन भी रंगा रंग हो जाये..
धुले भले ही तन से रंग..
पर प्रीत बसी रह जाये...
खो के भाई चारे मे....
साद एक दूजे के हो जाये..
छूटे चाहे जग सारा..
पर प्रीत न छूटने पाए..
रचनाकार --प्रदीप तिवारी
.kavipradeeptiwari.blogspot.com
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