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Tuesday, February 21, 2012
वादा
लम्हे लम्हे गिनते गिनते
हमने अपनी जिन्दगी गुजार दी
क्यों
की उसने वादा किया था
कि फिर कभी अपनी मुलाकत होगी.
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रचनाकार- प्रदीप तिवारी
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