अपनों को सौप कर आबरू
मैंने गुनाह कर दिया...
छीन ली जब दलालों ने कुर्सी
फिर क्यू मै मौन रह गया...
लूटते रहे वो माँ की आबरू
खंजरो से उसने तार तार कर दिया...
मै निकला ऐसा कपूत जो
देखकर भी अनदेखा कर गया......
अब जो न उठाई आवाज
क्या हमें इतिहास माफ़ करेगा
अब भी न उठाई आवाज तो
फिर कौन इन्साफ करेगा.......
देश के सम्मान का मजाक मत बनने दो
आत्म सम्मान के खातिर कुछ तो करो .....
आज नहीं तो कल मरना ही होगा
आज मरे तो कल अपना बेहतर होगा......
जन्मभूमी पुकार रही है
अब देश की ललकार यही है.........
भ्रस्टाचार मुक्त हो हो भारत
जन जन की आवाज यही है .............
rachanakaar --pradeep tiwari
www.pradeeptiwari.mca@gmail.com
मैंने गुनाह कर दिया...
छीन ली जब दलालों ने कुर्सी
फिर क्यू मै मौन रह गया...
लूटते रहे वो माँ की आबरू
खंजरो से उसने तार तार कर दिया...
मै निकला ऐसा कपूत जो
देखकर भी अनदेखा कर गया......
अब जो न उठाई आवाज
क्या हमें इतिहास माफ़ करेगा
अब भी न उठाई आवाज तो
फिर कौन इन्साफ करेगा.......
देश के सम्मान का मजाक मत बनने दो
आत्म सम्मान के खातिर कुछ तो करो .....
आज नहीं तो कल मरना ही होगा
आज मरे तो कल अपना बेहतर होगा......
जन्मभूमी पुकार रही है
अब देश की ललकार यही है.........
भ्रस्टाचार मुक्त हो हो भारत
जन जन की आवाज यही है .............
rachanakaar --pradeep tiwari
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